शनि देव लंगड़े क्यों है? शनि महाराज की कथा, Shani Dev wife, shani dev in hindi

शनि देव लंगड़े क्यों है? शनि महाराज की कथा, Shani Dev wife, shani dev in hindi

आज हम जानेंगे कि "शनि देव लंगड़े क्यों है ?" और साथ ही ये भी बताएँगे कि आखिर शनि देव लंगड़े हुए कैसे?

शनिदेव की कथा बहुत ही अच्छी और हितकारी होती हैं.
जब भी हम दुःखी होते हैं तब हमें शनि महाराज की कथा, शनिदेव की कथा,शनि देव की कहानी जरूर पढ़नी और सुननी चाहिए। क्यूँकि हमारे दुःखों को हरने वाला भगवान शनि देव जी की कथाएं बहुत ही आनंद दायक होती हैं.


चूँकि सूर्य के पुत्र भगवान शनि देव को न्याय का देवता और कर्मों का देवता माना जाता है. ये जीवों को उनके कर्म के अनुसार दण्ड देते हैं.

शनिदेव की कथा
शनिदेव की कथा

इसे जानने के लिए आपको शनिदेव की एक कथा बताता हूँ उसे सुन कर आपको पता चल जायेगा कि शनि देव लंगड़े क्यों है? या कैसे लंगड़े हुए?
शास्त्रियों ने एक अन्य कारण भी बताया है जो आपको इस लेख को पढ़ने के बाद पता चल जायेगा।

शनि महाराज की कथा (Shani Maharaj ki Katha)

शनि देव की ये कहानी शायद आपको न पता हो कि शनि देव के लंगड़े होने की एक पौराणिक कथा है। शनि देव, सूर्य देव के पुत्र हैं।

इनकी माता का नाम संज्ञा है। एक बार सूर्य देव का तेज सहन न कर पाने से संज्ञा ने अपने शरीर से एक प्रतिमूर्ति छाया को प्रकट करके कहा कि 'तुम मेरे स्वामी के साथ रहो और मेरे पुत्र की देखभाल भी करना और पत्नी सुख भोगो'।
यह कह कर संज्ञा अपने पिता के घर चली गई।

उधर छाया सूर्यदेव के साथ रहने लगी। इस बीच छाया से सूर्य देव के 5 पुत्र उत्पन्न हुए। सूर्य देव भी छाया का रहस्य ना जान सके।

छाया अपने पुत्रों का ध्यान रखती थी। एक बार शनिदेव भूख से व्याकुल हुए और छाया के पास गए और बोले 'माता, मुझे बहुत तेज भूख लगी है अभी भोजन दो'।

तब छाया ने कहा 'अभी ठहरो पहले मैं भगवान का भोग लगा लूं और तुम्हारे छोटे भाई बहनों को खिला दूं तब तुम्हें भोजन दूंगी'। यह सुनते ही शनिदेव को क्रोध आ गया।

बचपन से क्रोधी स्वभाव के थे ही अतः उन्होंने क्रोध के वशीभूत होकर छाया को मारने के लिए अपना पर उठाया।

उसी समय छाया ने श्राप दे दिया कि 'तेरा यह पैर टूट जाए', इस तरह सनी देव लंगड़े हुए।

शनि देव लंगड़े क्यों है इस पर ज्योतिष लोग अन्य कारण बताते हैं 


ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शनि ग्रह बहुत धीमी गति से चलने वाला ग्रह है यह एक राशि को ढाई वर्ष में पार करता है इस कारण शास्त्रीय से लंगड़ा कहते हैं।

अपने विचार हमें टिप्पड़ी के माध्यम से बताएं।

धन्यवाद ! जय शनि देव।

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